Wednesday 31 August 2016

मुस्कान!

वो चलते रही, बढ़ते रही..
औरों को ख़ुश देखने के लिये,
अपने चेहरे की हँसी उन्हें देते रही।

न जाने कब आया वो दिन,
के जब औरों में थी उसकी ख़ुशी,
और वो ख़ुद मुस्कुराना भूल गई!

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